उठी थी एक दिन बेख़बर, आज होने क्या वाला था। शायद उस दिन खुलने वाला मेरी किस्मत का ताला था।
कुछ अलग था उस दिन की हवा मैं ऐसा एहसास हो रहा था।Haan उसी दिन से शायद मुझे प्यार हो रहा था।
फिर मिलवाया जब किसी ने तुझसे उस दिन,देखा जो तुझे बैगानी हो गयी उस दिन,
नाम बता कर अपना तूने मुझसे हाथ जब मिलाया था,तेरा नाम एक पल मैं सौ बार दोहराया था,मन था तुझे गले लगाने का,
इसलिए तुझसे थोड़ा क़रीब हो रही थी,पहली बार मैं मुझे तुझपे ऐतबार हो रहा था।Haan शायद मुझे प्यार हो रहा था।
धीरे धीरे फिर तुझसे बात होने लगी थी,रातो का ठिकाना न था,खिड़की के बाहर देखती तो सहर होने लगी थी,तेरा दिन कैसा गुजरा ये तू बताया करता था।
Hahahah awww so cute बोल कर मुझसे fleart कर जाया करता था।फिर एक दिन खुदा ऐसा लाया था,जिस दिन तूने अपना हाल- ए- दिल मुझे बताया था।शुरू होने को एक नई दास्तां थी,
क्योंकि अब कोई मेरे दिल का हक़दार हो रहा था।दीदार दीदार मैं कोई मेरा दिलदार हो रहा था।
मानो मेरा इश्क़ उसके लिए मुफ्त का बाज़ार हो रहा था।Haan शायद मुझे प्यार हो रहा था।